टॉप 10 छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध मंदिर [ Famous Temples in Chhattisgarh ]

छत्तीसगढ़ राज्य में वैसे तो बहुत से प्रसिद्ध मंदिर है लेकिन आज हम टॉप 10 famous temple in chhattisgarh के बारे में जानेंगे जो छत्तीसगढ़ में बहुत ही प्रमुख है. यहाँ आपको छत्तीसगढ़ के धार्मिक स्थल छत्तीसगढ़ के प्रमुख मंदिरों के नाम देखने को मिलेंगे. छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध 5 तीर्थ स्थलों के नाम और 5 प्राचीन मंदिर के बारे में मैंने इस पोस्ट में बताया है जिसे आप देख सकते है, ये सभी मंदिर में लोग हरसाल जाते है. 

1. Bamleshwari Mandir

स्थान: बमलेश्वरी माता मंदिर डोंगरगढ़ में स्थित है।

धार्मिक महत्त्व: यह मंदिर माँ देवी बमलेश्वरी माता को समर्पित है, जिन्हें माँ दुर्गा के रूप में पूजा जाता है।

छत्तीसगढ़ के डोंगरगढ़ की पहाडियों में स्थित माँ बमलेश्वरी देवी मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य की एक प्रसिद्ध देवी मंदिर है, जिसे माँ दुर्गा के 52 शक्तिपीठ में से एक के रूप में पूजा जाता है. प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इस देवी मंदिर का निर्माण राजा वीरसेन द्वारा कराया गया था तथा प्राचीन काल में डोंगरगढ़ का नाम कामाख्या नगरी थी. जिससे यह बम्लेश्वरी माता मंदिर 2200 वर्ष पूर्व की मानी जाती है. यह मंदिर डोंगरगढ़ में 1,600 फीट ऊँची पहाड़ी पर स्थित है और ऊपर से आसपास का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। यहाँ माँ देवी की छोटी और बड़ी मंदिर दोनों मंदिर है जिसके दर्शन के लिए हरसाल लाखों लोग आते है साथ ही यहाँ साल में 2 बार नवरात्रि के अवसर पर भव्य मेला भी लगता है।

2. Ratanpur Mahamaya Mandir

स्थान: माँ महामाया मंदिर रतनपुर में स्थित है।

धार्मिक महत्त्व: यह मंदिर ऐतिहासिक रूप से कलचुरी वंश के समय में बनाया गया था, जिससे की यह मंदिर छत्तीसगढ़ का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो देवी महमाया को समर्पित है और इसकी स्थापत्य शैली दर्शनीय है।

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के रतनपुर शहर में स्थित माँ महामाया मंदिर, छत्तीसगढ़ राज्य की एक प्रमुख धार्मिक मंदिर है जो पुरे पुरे भारत में प्रसिद्ध है. इस देवी मंदिर को कोसल क्षेत्र की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है। मुख्य मंदिर माँ महामाया मंदिर के अलावा मंदिर परिसर में भगवान शिव और अन्य देवताओं के मंदिर भी मौजूद हैं। जिससे यहाँ हर साल पुरे देश भर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु भक्त आते है। मंदिर का मुख्य प्रवेशद्वार और वास्तुकला प्राचीन भारतीय शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। कहा जाता है की रतनपुर एक समय में छत्तीसगढ़ की राजधानी थी और इस मंदिर का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व पहले से ही है। नवरात्रि के अवसर पर यहाँ अत्यधिक भीड़ देखि जाती है, तथा रतनपुर शहर बिलासपुर से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और यह सड़क मार्ग से आसानी से पहुँचा जा सकता है।

3. Danteshwari Temple

स्थान: माँ दंतेश्वरी मंदिर छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित है।

धार्मिक महत्त्व: मान्यता है की यहाँ देवी सती का दांत गिरा था जिससे इस स्थल को 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है।

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में स्थित माँ दंतेश्वरी मंदिर, छत्तीसगढ़ राज्य की एक धार्मिक एवं प्रमुख मंदिर है यह मंदिर माँ सती के 52 शक्तिपीठों में से एक है। मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी के आसपास वारंगल राज्य के राजा अन्नम देव द्वारा कराया गया था। मंदिर के गर्भगृह में स्थित माँ दंतेश्वरी की प्रतिमा काले ग्रेनाइट से बनी है, जिसमें देवी के छह हाथ हैं। यहाँ स्थानीय लोग देवी दंतेश्वरी को कुलदेवी के रूप में पूजते है. यहाँ नवरात्रि के अवसर पर भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है जिसमे दूर दूर से लाखों भक्त सम्मलित होते है। इसके अलावा यहाँ अन्य प्रमुख आयोजन भी कराये जाते है जिसमे वार्षिक रथयात्रा, फाल्गुन मड़ई, और बस्तर दशहरा शामिल हैं। मंदिर की वास्तुकला दक्षिण भारतीय शैली में है, जिसमें लकड़ी और पत्थरों का उपयोग किया गया है।

4. Amarkantak Temple 

स्थान: अमरकंटक, मध्य प्रदेश के अनूपपुर ज़िले में है तथा यह छत्तीसगढ़ के बिलासपुर संभाग से लगा हुआ है.

धार्मिक महत्त्व: यह मंदिर नर्मदा नदी के उद्गम स्थल पर स्थित है और भक्तों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थान है।

छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध मन्दिरों की बात हो और उसमे अमरकंटक ना हो ऐसा हो ही नही सकता.  प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व का संगम है अमरकंटक धाम जो छत्तीसगढ़ के बिलासपुर संभाग से लगा हुआ है. यह एक तीर्थ स्थल भी है जहाँ लोग अपनी मनोकामना की पूर्ति के पहुचते है. अमरकंटक वह स्थान है जहां नर्मदा, सोन और जोहिला नदियों का उद्गम होता है, जो इसे धार्मिक दृष्टि से छत्तीसगढ़ के प्रमुख मंदिरों से महत्वपूर्ण बनाता है। साथ ही यहाँ आपको अमरकंटक में प्राचीन कालचुरी वंश के बनाए मंदिरें भी देखने को मिलते हैं। यहां हर साल हजारों तीर्थयात्री नर्मदा नदी में स्नान करने और पूजा करने आते हैं। आप भी यहाँ अपने पुरे परिवार के साथ इस अद्वितीय स्थल कई सैर जरुर करें.

5. Chandrahasini Mandir

स्थान: चंद्रहासिनी मंदिर छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा के चंद्रपुर शहर में स्थित है.

धार्मिक महत्त्व: चंद्रहासिनी माता मंदिर को माता सती के 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है, जो इसे धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल बनाता है।

माँ चंद्रहासिनी मंदिर छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले के चंद्रपुर नामक एक छोटे से शहर में स्थित है. तथा यह मंदिर मंड नदी के तट पर स्थित है और स्थानीय लोग इस मंदिर को माता सती के 52 शक्तिपीठों में से एक मानते है. मंदिर के गर्भगृह में विराजमान माँ चंद्रहासिनी देवी की मूर्ति चंद्रमा के आकार के कारण विशेष रूप से आकर्षक मानी जाती है। जिसके कारण यह मंदिर धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल बन जाता है। जो इसे भक्तों के लिए एक आध्यात्मिक और प्राकृतिक आकर्षण बनाता है। माँ चंद्रहासिनी मंदिर की वास्तुकला बहुत ही अद्वितीय है, जिसमें मंदिर के बाहरी और आन्तरिक में सुंदर नक्काशी और कलात्मक डिज़ाइन देखने को मिलते हैं। यहाँ मंदिर में नवरात्रि और दुर्गा पूजा जैसे त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाए जाते हैं, जिसमें दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। 

6. Bhoramdeo Temple

स्थान: भोरमदेव मंदिर छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले (कवर्धा) में स्थित है और इसे “छत्तीसगढ़ का खजुराहो” कहा जाता है।

धार्मिक महत्त्व: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है, मंदिर की दीवारों पर पत्थरों की अद्भुत नक्काशी है, जिसमें देवी-देवताओं, नर्तकों और मिथकीय कथाओं के चित्र उकेरे गए हैं।

क्या आपको पता है छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले (कवर्धा) में एक ऐसा मंदिर है जिसे सिर्फ एक रात में बनाया गया है. मै बात कर रहा भोरमदेव मंदिर की, यह मंदिर 7वीं से 11वीं शताब्दी के बीच बनाया गया था और इसकी वास्तुकला खजुराहो और कोणार्क के मंदिरों से प्रेरित दिखाई पड़ती है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यहां शिवलिंग की पूजा होती है जो इस अद्वितीय मंदिर के गर्भगृह में स्थित है। इसे “छत्तीसगढ़ का खजुराहो” भी कहा जाता है। भोरमदेव मंदिर परिसर में मदवा महल नामक एक संरचना भी है, जिसे विवाह मंडप का रूप माना जाता है। भोरमदेव मंदिर को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित धरोहर घोषित किया गया है। यह स्थान भारतीय और विदेशी पर्यटकों के बीच समान रूप से लोकप्रिय है, जो इस स्थापत्य कला और प्राकृतिक सुंदरता का मुख्य केंद्र हैं।

7. Banjari Mata Mandir

स्थान: बंजारी माता मंदिर छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले में स्थित है. 

धार्मिक महत्त्व: यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना है और इसे छत्तीसगढ़ की धार्मिक धरोहर का प्रतीक माना जाता है।

बंजारी माता मंदिर रायपुर में स्थित एक प्रसिद्ध देवी मंदिर है जो रायपुर के निवासियों के लिए एक प्रमुख आस्था का केंद्र है. मंदिर के गर्भगृह में विराजित बंजारी माता को शक्ति और सुख-समृद्धि की देवी के रूप में पूजा जाता है और यहाँ भक्तों की भारी भीड़ रहती है। यह मंदिर सैकड़ों साल पुराना बताया जाता है जिसे बंजारों द्वारा बनवाया गया था जिससे की इस मंदिर को छत्तीसगढ़ की धार्मिक धरोहर का प्रतीक माना जाता है। मंदिर की संरचना पारंपरिक छत्तीसगढ़ी शैली में बनी है, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाती है। लोग यहाँ अपनी मनोकामनाएँ पूरी करने के लिए आते हैं और मान्यता है कि माता सभी इच्छाएँ पूरी करती हैं।

8. Jatmai Ghatarani Mandir

स्थान:  यह मंदिर गरियाबंद जिले में स्थित है.

धार्मिक महत्त्व: जतमाई माता का मंदिर प्रमुख देवी दुर्गा को समर्पित है, जिन्हें यहाँ “जतमाई” के रूप में पूजा जाता है। यहाँ के अधिकांश मंदिर नागर शैली में निर्मित हैं, जबकि कुछ मंदिर ओड़िशा और द्रविड़ शैली के दिखाई पड़ते हैं।

जतमाई और घटारानी मंदिर छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटन स्थलों में से एक हैं। यह मंदिर गरियाबंद जिले में स्थित है और अपने प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। जतमाई माता का मंदिर प्रमुख देवी दुर्गा को समर्पित है, जिन्हें यहाँ “जतमाई” के रूप में पूजा जाता है। यह मंदिर परिसर दस से अधिक मंदिरों का समूह है, जिनमें शिव, विष्णु, जगन्नाथ, राम और हनुमान को समर्पित मंदिर शामिल हैं। घटारानी झरना, जो जतमाई मंदिर के पास स्थित है, वर्षा ऋतु में सबसे अधिक आकर्षक होता है। यहाँ के अधिकांश मंदिर नागर शैली में निर्मित हैं, जबकि कुछ मंदिर ओड़िशा और द्रविड़ शैली के हैं।

9. Kaushlya Mata Mandir

स्थान: कौशल्या माता मंदिर छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के चंदखुरी गांव में स्थित है।

धार्मिक महत्त्व: यह मंदिर दुनिया का एकमात्र मंदिर है जो कौशल्या माता को समर्पित है, जो भगवान श्रीराम की माता थीं।

छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के चंदखुरी गांव में कौशल्या माता का मंदिर एकमात्र मंदिर है जो कौशल्या माता को समर्पित है, जो भगवान श्रीराम जी की माता थीं। मंदिर के परिसर में एक बड़ा और सुंदर तालाब है, जो इसकी प्राकृतिक खूबसूरती बढ़ाता है। नवरात्रि और रामनवमी के अवसर पर यहां विशेष पूजा और उत्सव का आयोजन होता है। मंदिर की संरचना और वास्तुकला प्राचीन भारतीय शैली की है। यह स्थल छत्तीसगढ़ सरकार की “राम वन गमन पथ” योजना का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। कौशल्या माता मंदिर रायपुर शहर से लगभग 27 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिसे सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

10. Patal Bhairavi Temple

स्थान: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव शहर में पाताल भैरवी मंदिर है. 

धार्मिक महत्त्व: यह स्थान प्राचीन पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है माँ पाताल भैरवी देवी को तांत्रिक परंपराओं में विशेष स्थान प्राप्त है। जिससे की यह स्थल छत्तीसगढ़ के धार्मिक स्थलों में से एक है.

माँ पाताल भैरवी मंदिर छत्तीसगढ़ में एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, यह मंदिर छत्तीसगढ़ में स्थित है और कई श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। कहते है की माँ पाताल भैरवी देवी को तांत्रिक परंपराओं में विशेष स्थान प्राप्त है। श्रद्धालु भक्त यहाँ मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए विशेष रूप से हरसाल आते हैं। लोगों द्वारा नवरात्रि में यहाँ भव्य पूजा और मेलों का आयोजन होता है। यह स्थल छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति और परंपराओं को प्रकट करता है। यहाँ प्रतिदिन विशेष पूजा और आरती आयोजित की जाती है। मंदिर तक पहुँचने के लिए अच्छी यातायात सुविधाएँ उपलब्ध हैं।

My name is Vijay Nirmalkar, and I love to travel and write about the beautiful places and culture of Chhattisgarh. I enjoy helping others discover the wonders of this state through simple and easy-to-understand stories. My goal is to make learning about and exploring Chhattisgarh fun for everyone.

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